Tujhe meri jarurat nahi hai shayari
तुझे मेरी जरूरत नहीं ये मानता हूं मैं तुझे कोई या कोई तालाब है ये भी जानता हूँ मैं माई उसके जितना अच्छा नहीं ये भी मानता हूं मैं लेकिन तुझे मुझसे ज्यादा कोई चाहेगा नहीं ये भी जानता हूं मैं|
हाँ ये भले हो सकता है कि अब उन्हें मेरी जरूरत नहीं
कोई पत्थर की मूरत है किसी पत्थर मैं मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो कितनी खूबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुझे मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है
बहुत चाहा था उन्होंने मुझे आज मैं उनकी चाहत नहीं
उन्हें सागर चाहिए ‘निर्दोष’ मुझ जैसा ठूँठ दरख़्त नहीं
काश तुझे मेरी
जरुरत हो मेरी तरह
और मैं नज़रअंदाज़
करुं तुझे तेरी तरह|
जब जरुरत
थी मैं सबका था,
जब मुझे थी तब मेरा
कोई ना था !
थी मैं सबका था,
जब मुझे थी तब मेरा
कोई ना था !